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The Islamic Bulletin

The Purpose Of Life in Hindi

जीवन का उद्देश्य

के क्या उन की अपनी ज़िंदगी के बारे मैं ये अवलोकन या

विश्लेषणात्मक तर्क के माध्यम हैं| बहुत बार तो ये भी

आपको कहेंगे की ये वो कहता वो ये कहता है और आपको ये

बातायँगे की आम तौर पर लोग क्या समझते हैं| मेरे पिताजी

कहते थे की ज़िंदगी का मकसद वही है जो पाद्री ज़िंदगी का

मकसद बताए जो मेरे अध्यापक स्कूल मैं बताए या जो मेरे

दोस्त बताए|

अगर मैं किसी से कुछ खाने का मकसद पूछता हूँ,

“क्यू हम खाते हैं?” बहुत से लोग सिर्फ़ एक शब्द मैं उत्तर

देंगे की,”ये हुमारी गिज़ा है” क्यूंकी गिज़ा हुमारी ज़िंदगी को

कायम रखती है| “अगर मैं कहू के हम क्यू काम करते हैं?”

वो कहेंगे की ये ज़रूरी है हुमारे लिए और इसके ज़रिए हम

अपनी और अपने कुनबे की ज़रूरियत को पूरा करते हैं| अगर

मैं किसीसे पूछ लू के वो क्यू सोते हैं, वो क्यू नहाते हैं, वो

क्यू वस्त्र पहनते हैं वगेरा वगेरा वो जवाब देंगे के “ये आम

ज़रूरियत इंसानो के लिए हैं”, हम इस तरह के करोड़ो सवाल

पूछ सकते हैं किसी भी ज़ुबान मैं और दुनिया मैं किसी भी

जगह हर एक से एक ही जेसे जवाबत प्राप्त होंगे, बिल्कुल

इसी तरह के जब हम सवाल करते हैं किसी से के ज़िंदगी का

हासिल और ज़िंदगी का मकसद क्या है तो हम क्यू तरह

तरह के उत्तर हासिल करते हैं| क्यूंके लोग उलझे हुए हैं वो

हक़ीकत मैं नही जानते वो अंधेरो मैं भटक रहे हैं बजाए इसके

के वो बताए के हम नही जानते वो एसे उत्तर देते हैं| जिससे

एसा लगता है के पहले से तय्यार किए गये हैं|

चलें इस बारे मैं सोचते हैं| क्या इस दुनिया मैं हुमारी

ज़िंदगी का मकसद सिर्फ़ खाना, सोना, वस्त्र पहनना, काम

करना, कुछ हासिल कारणओर खुद को खुश रखना है? क्या

यही हुमारी मकसद है? हम क्यू पैदा हुए? हुमारे होने का

मकसद क्या है? और क्या राज़ छुपा है इस मखलूक को

पैदा करने और इस ज़बरदस्त ब्रह्मांड को बनाने मैं? इन

सवालो के बारे मैं सोचिए!

कुछ लोग कहते हैं के ये साबित नही होता के कोई

खुदा की हक़ीकत की हक़ीकत है| ये भी साबित नही होता

के कहीं खुदा है| इस बात के भी सबूत नही है के ये ब्रह्मांड

वजूद मैं आने का खुदा का कोई मकसद है| जो लोग इस तरह

सोचते हैं और जो कहते हैं के दुनिया एसे ही वजूद मैं आ गयी,

और बस एक बहुत बढ़ा विस्फोट हुआ और इतनी ज़बरदस्त

दुनिया अपनी तरह तरह की मखलूक और सुंदरता के साथ

वजूद मैं आ गयी| और वो कहते हैं की ज़िंदगी का कोई खास

मकसद नही है और ये के ये साबित नही हो सकता के खुदा है

या कोई मकसद या खुदा का कोई मकसद है इस दुनिया को

वजूद मैं लाने के लिए चाहे मन्तिक या विज्ञान से|

यहाँ मैं क़ुरान पाक की कुछ आयत पढ़ना चाहूँगा जो

के हुमारे टॉपिक से मिलती हैं|

“आसमानो और ज़मीन के जन्म लेने मैं और रात दिन

के आने जाने मैं यक़ीनन अकल्मांदों के लिए निशानिया

हैं| जो अल्लाह तालहा का ज़िक्र उठते बैठते और अपने

करवाटो पे लेटे हुए करते हैं और आसमानो और ज़मीनो

की पैदाइश मैं गौर ओ फ़िक्र करते हैं और कहते हैं ए

हुमारे परवर्दीगार तूने ये बे मकसद नही बनाया, तू पाक

है| बस हमें आग के आज़ाब से बचाले|”

[क़ुरान - सुरा-३,

आयात- १९०-१९१]

ये मेरे लिए बहुत बढ़े सम्मान की बात है कि मुझे

यहाँ कुछ कहने का मोका मिला और मैं यहाँ कहना चाहता

हूँ के ये एक व्यखान नही है| मैं नही समझता की मैं व्यखान

की तय्यरी करके आया हूँ, लेकिन एक ये एक किस्म की

नसीहत है मेरे लिए भी क्यूंकी मैने खुद अपने सामने रखी

कुर्सी पर बैठ कर देखा है| सिर्फ़ कुछ ही दिनो पहले कुछ

ही सालो पहले कुछ ही लम्हो पहले, मैं बिल्कुल यहीं बैठा

था जहाँ आप बैठे हैं| ईसाई, गैर मुस्लिम, कोई भी धर्म

इसकी कोई मेहतव नही है| एक मनुष्ये जो की इस्लाम

से वाकिफ़ नही है और किसी लम्हे पर मैं भी एक था जो

हक़ीकत मैं ज़िंदगी गुज़ारने का मकसद नही जानता था|

जानकारी है जो मैं आपके साथ साझा करना चाहते

हैं, यह थोड़ा व्यापक लग सकता है।जानकारी जो मैं आपके

साथ साझा करना चाह हैं, यह थोड़ा व्यापक लग सकता

है।जब आप मानते हैं मानव मस्तिष्क की शॅम्ता और

जानकारी की मात्रा की शॅम्ता जो वो गुणवाचन कर सकता

है| तो आज के कुछ पन्नो के साथ जानकारी,मुझे यकीन है

क ये आपका पल्ला भारी नही करेंगे|

ये मेरी ज़िम्मेदारी है के आज की बहेस का टॉपिक

आप को बता दूँ - हमारी ज़िंदगी का मकसद क्या है? और

मैं आपसे सवाल करना चाहूँगा की आप इस्लाम के बारे मैं

क्या जानते हैं? मेरा मतलब ये है के - क्या आप वाकाई

इस्लाम को जानते हैं? नही, क्या सुना है आपने इस्लाम के

बारे मैं; नही, क्या देखा है आपने कुछ मुसलमानो को करते

हुए, लेकिन क्या जानते हैं आप इस्लाम के बारे मैं?

ये मेरे लिए बहुत बढ़े सम्मान की बात है कि मुझे

यहाँ कुछ कहने का मोका मिला की मैं शुरू करू उस बात से

की आप सब की बराबर ज़िम्मेदारी है| और ये ज़िम्मेदारी

है की हम अपने खुले दिल और खुले ज़हेन के साथ पढ़े और

सुने|

ये दुनिया तासुब और तहज़ीबी रस्मोरिवाज मैं डूबी

हुई है ये किसी इंसान के लिए बहुत मुश्किल है के वो कुछ

लम्हात सोचने के लिए निकाले| अपनी ज़िंदगी के मकसद

के बारे मैं सोचे| कोशिश करें के हुमारी हकीकी ज़िंदगी के

मकसद को और सच्चाई को इस दुनिया के सामने लाएँ|

बदक़िस्मती से जब हम बहुत से लोगो से सवाल करते हैं

के “आप की ज़िंदगी का मकसद क्या है?” जो की एक

बुनियादी और ज़रूरी सवाल है, वो आपको नही बातायँगे