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The Islamic Bulletin
The Purpose Of Life in Hindi
ऊपर दी गयीं आयात मैं अल्लाह तआलआ
बिल्कुल सॉफ तरीके से ज़िक्र करता है, वो पहले तवज्जे
हमारी स्रजन के तरफ दिलाता है| इनसानी जिस्म के
विभिन्न हिस्से और लोगों की विभिन्न सोच और अंदाज़
और वो हमारी तवज्जे जंतुओ की तरफ दिलाता है, दिन
और रात के बदलने की तरफ, सितारो की तरफ, आसमान
की तरफ और आज़्ज़ाम फलक की तरफ और फिर
वो कहता है के उसने ये सब चीज़े किसी बेवकूफ़ाकना
मकसद के लिए पैदा नही की हैं क्यूंके जब आप उसकी
हिकमत को देखते हैं तो आप जानते हैं के उसकी हिकमत
कितनी कितनी ज़ादा ताकतवर और कितनी ज़बरदस्त
है और कुछ उसकी हिकमत अमली जो बहुत ताकतवर
और बहुत ज़बरदस्त है| हमारी सोच और हमारे अंदाज़ो
से बाहर होती है ये कोई बेवकूफी या पागलपन नही हो
सकता| ये आएसा भी नही होसकता की बस हो गया|
फ़र्ज़ करें के आप दस मार्बल के टुकड़े लें और
उन्हे एक से साद तक नंबर दें और ये तमाम अलग अलग
रंग के हों और आप उन्हे थैले के अंदर रखें और फिर थैले
को हिलाएँ और फिर आप अपनी आँखो को बंद करें और
फिर थैले को खोले और मैं आपसे कहूँ के पहला मार्बल
का टुकड़ा निकालें और फिर दूसरा नंबर वाला और फिर
तीसरे नंबर वाला टुकड़ा निकालें| एक तरकीब के साथ
आपको कितना अंदाज़ा है के आप ये सारे मार्बल नंबरओं
की टरतीब से निकाल लेंगें? क्या आप जानते हैं के आप ये
कितनी बार मैं कर सकते हैं| २६मिलियन मैं से एक बार! तो
कितनी संभावना है जन्नत के और ज़मीन फेंकी जाने के
ज़बरदस्त धमाके से बन सकता है जेसा ये आज है| कितनी
संभावना है इन सब चीज़ो की?
मेरे प्रिय काबिल दोस्तों- हमैन अपने आप से
एक और सवाल करना पढ़ता है| जब आप पुल देखते हैं,
एक इमारत या एक चलती गाढ़ी देखतें हैं तो आप खुद बा
खुद समझ जातें हैं के ये किसी शक्स या किसी कंपनी ने
बनाई होगी| जब आप एक हवाई जहाज़, रॉकेट, सेटिलाइट
या एक बढ़ा पानी का जहाज़ देखतें हैं, आप भी सोचते हैं
के ये केसी अविश्वसनीय सवारियाँ हैं| जब आप देखतें
हैं एक न्यूक्लियर प्लांट, एक अंतरिक्ष स्टेशन, एक
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जो तमाम चीज़ो से लेस हो, ये
भी और दूसरी चीज़ें पाई जाती हैं इस मुल्क मैं- आप इन
तमाम चीज़ों की इंजीनियरिंग गतिशीलता की तारीफ़ किए
बिना नही रह सकते|
ये तो बस चीज़ें थी जो के इंसान ने बनाई हैं| इंसानी
जिस्म और बढ़े और उलझे हुए निज़ाम के बारे मैं क्या हाल
है? ज़रा इस बारे मैं सोचिए! सोचिए दिमाग़ के बारे मैं केसे वो
सोचता है, केसे वो काम करता है, कैसे यह सोचता है, कैसे
यह काम करता है, यह कैसे ये विश्लेषण करता है, कैसे ये
जानकारी संग्रहित करता है, जानकारी हासिल करता है,
और सेकेंड के हज़ारवें हिस्से मैं कैसे श्रेणी मैं जानकारी
को संग्रहित करता है! और दिमाग़ तमाम चीज़े मुस्तकिल
करता रहता है| एक लम्हे के लिए एक दिमाग़ के बारे मैं
सोचिए| ये दिमाग़ ही है जो गाढिया बनाता है, रॉकेट, कश्ती
और बहुत कुछ- ज़रा दिमाग़ और जो वो बनाता है उसके
बारे मैं सोचिए| दिल के बारे मैं सोचिए, कैसे वो मुस्तकिल
साथ से सत्तर सालों तक पंप करता है और पुर जिस्म से
खून लेता और छोड़ता रहता है और जिस्म को कैसे कायम
रखता है के इंसान की पूरी ज़िंदगी चलती रहती है| ज़रा इस
बारें मैं सोचिए! ज़रा इस बारें मैं सोचिए! गुर्दो के बारें मैं
सोचिए के वो केसे अपना काम जारी रखतें हैं| जिस्म का
सफ़ाई साधन है, जो सैकड़ों रासायनिक विश्लेषणों के साथ-
साथ और भी करता है, जैसे रक्त में विषाक्तता का स्तर
नियंत्रित करता है। यह स्वचालित रूप से करता है। अपनी
आँखों के बारे मे सोचिए इंसानी कॅमरा खुद बा खुद फोकस
करता है आँखे तर्जुमानि करती हैं अंदाज़े लगाती हैं और
खुद से रंगो को पहचानती हैं कुद्रती तौर पर रोशनी और
फ़ासले की पहचान और अंदाज़ा करना, ये तमाम चीज़े खुद
बा खुद काम करती हैं| इस बारे मैं सोचिए|
किसने ये बनाई हैं? कौन इनका मालिक है? किसकी
ये हिकमत है? और किसने इन्हे टरतीब दिया है? क्या
इंसानो ने खुद? नही| बेशक नही|
ये कयनात क्या है? ज़रा इस बारे मैं सोचिए| धरती
हमारे ब्रह्मांड का एक ग्रह है| और हमारा ब्रहमांड एक
निज़ाम है कहकशा का और कहकशा एक सितारो का झुंड
है बहुत सी कहकशाओ मैं| ज़रा सोचिए की ये तमाम चीज़े
एक टरतीब मे हैं ये तमाम सही काम कर रही हैं| ये आपस
मैं एक दूसरे से टकराती नही हैं और ना ही इनका आपस
मैं तसादाम होता है| वो अपने मीडार के साथ टेरटी हैं जेसे
वो उसके लिए हैं| क्या इंसान इस तरह की हरकत मैं रह
सकता है? क्या इंसान पूढ़ता के साथ ये सब कुछ कर
सकता है? नही| यक़ीनन नही बेशक नही|
सोचो उन समन्दरों, मछलियों, की ों, पौधों,
जीवाणुओं, रासायनिक तत्वों के बारे में जिन्हें खोजा नहीं
गया है और जिन् का पता भी नहीं लगाया जा सकता है यहां
तक कि सबसे अधिक परिष्कृत उपकरणों से भी नहीं|
फिर भी, उनमें से हर एक का कानून है जोसका वह पालन
करते है। क्या यह सारा तुल्यकालन, संतुलन, सद्भाव,
भिन्नता, डिजाइन, रखरखाव, संचालन, और अनंत संख्यान
इत्तिफाक से हुआ? और क्या यह सारी चीें इत्तिफाक से
ही उत्तम तरीके से, हमेशा से काम कर रही हैं? और क्या
यह सब इत्तेफाक से ही प्रजनन किये जा रही हैं, अपने
आप को बरकरार रखें हैं? नहीं, बिलकुल नहीं|
सोचें तो ये बहुत विसंगत और बेवकूफी वाली बात
लगेगी लेकिन बहुत छोटा सा आपको इशारा ज़रूर देगा के
आख़िर ये कहाँ से आए| ये इंसान की सोच से बिल्कुल बाहर
है| हम सब इस बात की पुष्टि करते हैं| जो जिस काबले ए
फ़िक्र है और जो काबिल है उसका शुक्र अदा किया जाए
वो जिसके पास तमाम क्षमताओं हैं वो खुदा है| खुदा ने ये
सब पैदा किया और वो इन तमाम चीज़ो के कायम रखने
का ज़िम्मेदार है| खुदा बस एक है जो क़ाबिले तारीफ और