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The Islamic Bulletin

The Purpose Of Life in Hindi

मानो आप इसबारे मैं आप नही जानते| आपको वहाँ जाना है,

आप ज़िम्मेदार हैं क्यूंके आपको बता दिया गया है यहाँ तक

के आप इसे नकार दो| क्यूंकी ज़िंदगी का मतलब यहाँ ये नही

है के आप बैठे रहो, कुछ ना करो और आप पर कोई असर

ना होगा| हर वजह का असर होता है और आप इस ज़िंदगी

मैं एक वजह से हैं, एक मकसद के लिए तो असर तो लाज़मी

पढ़ेगा कुछ करने का किसी किस्म का असर तो लाज़मी

होगा| आप स्कूल नही जाएँगे तो आप ठहरे रहेंगे! आप काम

पर नही जयनगे तो मुआवज़ा भी नही मिलेगा! आप घर नही

बनायंगे तो उसके अंदर जा भी नही सकते! लिबास नही

बनवायंगे तो पहनेगे भी नही! आप बढ़े ना हो बच्चो के जेसे तो

जवान भी नहीं होंगे! आप कोई भी काम बगैर किसी मुमकिन

इनाम के नही करते! आप नही जी सकते बगैर मरने की

सोच के! आप मर नही सकते बगैर किसी कब्र की संभावना

पर और आप ये ख्याल नही कर सकते के क़ब्र ख़ात्मा है|

क्यूंकी इसका मतलब होगा की खुदा ने आपको बेवकूफ़ाना

मकसद के लिए पैदा किया था| और आप स्कूल नही जाते,

काम नही करते या कुछ नही करते या बीवी पसंद नही करते

या बच्चो के नाम बेवकूफ़ाना मकसद के लिए चुनते हो| केसे

आप खुदा को अपने से कम समझ सकते हो?

मुतवज्जे करने, तसव्वुर से कायल करने, और गौर

ओ फ़िक्र के काबिल करने के लिए क़ुरान भत गहराई और

खूबसूरत अंदाज़ मैं बताता है महासागर और दरियाओं की,

पेड और पोधो की, परिंदो और कीढ़े और मकोड़ो की, जंगली

और पालतू जानवरों की, पहाड़ो, वादियों, जन्नत के फेलने

की, फरिश्तों और कायनात की, मछलीओ और पानी के जीव

जनतूओं की, इंसानी की शारीरिक रचना और जीव विज्ञान

की, इंसानी सभ्यता और इतिहास की, मानव भ्रूण के विकास

की, स्वर्ग और नरक के विवरण की, मानव भ्रूण के विकास

की, सब नबी और दूत के काम की, ज़मीन पर ज़िंदगी के

मकसद की| तो केसे एक चरवाहाः लड़का रेगिस्तान मैं पैदा

होने वाला जो बगैर पढ़े लिखे पैदा हुआ और पढ़ नही सकता,

केसे वो इन सब चीज़ों की पुष्टि कर सकता है जिनका कभी

उस से संपर्क ही नही हुआ था?

बहराल सबसे ज़्यादा मुनफ़रीद चीज़ जो क़ुरान की है

जो तमाम पिछली मुकद्दस किताबों की पुष्टि करता है| डीन

इस्लाम का अच्छी तरह जायज़ा लेकर आपको फ़ैसला करना

चाहये के आप मुसलमान हों, आप अपने आप से ये ना सोचें

के आप मज़हब बदल रहें हैं! आप अपना मज़हब नही बदल

रहे हैं| आप देखिए की आपका वज़न कम हो जाए तो आप

अपना $५०० डॉलर का लिबास नही फेंकना चाहेंगे, यक़ीनन

नहीं! आप उसे दर्ज़ी के पास लेकर जाएँगे और कहेंगे के

सुनो, मेहेरबानी करके! इसे मेरे लिए थोड़ा सा छोटा करदो

आप इसमे कुछ सही कराएँगे क्यूंके ये लिबास आपको पसंद

है इसी तरह अपने ईमान के, इज़्ज़त के, पाकिज़गी के, ईसा

अल्एसलाम की मोहब्बत के, आप के खुदा से ताल्लुक के

साथ, आप की इबादत, आपकी सच्चाई और आपकी अज़ीम

खुदा के वक्फ़ होने के साथ इसे तब्दील ना करें की इसे छोड़

दें! आप इस पर क़ायम रहें लेकिन खुद को सही करें जहाँ

आप जानते हैं की सच आपको मालूम हो गया है! यही सब

कुछ है|

इस्लाम सादा है: सिर्फ़ गवाही देता है की कोई

इबादत के लायक़ नही सिवाए अज़ीम खुदा के| अगर मैं आप

से पून्छू के आपके पिता आपके पिता हैं, आप मैं से कितने

कहेंगें के हाँ मेरे पिता मेरे पिता हैं, मेरा पुत्र मेरा पुत्र है

मेरी पत्नी मेरी पत्नी है, मैं हूँ जॉमैन हूँ| तो फिर केसे है ये

आप इस बात की गवाही देते हुए घबराते हैं की अज़ीम खुदा

तुम्हारा मालिक और खालिक है? क्यूँ आप गुरूर करते हैं

आएसा करने मैं? क्या आप अज्मत वालें हैं? क्या आपके

पास कोई आएसी चीज़ है जो खुदा के पास नही है? या क्या

आप उलझे हुए हैं? ये सवालात हैं जो आप खुद से करें|

अगर आपके पास मौका होता की आप चीज़ें सही रखें

अपने शहूर से और फिर खुदा के साथ चीज़ें सही रखें, क्या

आपको आएसा करना चाहये? अगर आप को मौका मिलता

तो आप पूछते खुदा से के मेरा जो सबसे बेहतरीन काम है

उसे क़ुबूल करें क्या आपको आएसा करना चाहिए? अगर

आपको ऐसा मोका मिले आपके मरने से पहले और आप

समझें की आज रात को आप मार सकते हैं तो क्या आप को

कोई संकोच नही होना चाहिए इस बात की गवाही देने मे की

अल्लाह एक है? अगर आप समझें की आप आज रात को

इंतिक़ाल कर जाएँगे और आपके सामने जन्नत हो और पीछे

दोज़ख़् की आग, क्या आप अब भी हिचकिचायँगे इस बात की

गवाही देने से की मोहम्मद स खुदा के आखरी पेगंबर और

खुदा के तमाम रासूलों के नुमाय्न्दे हैं? आप को हिचकिचाना

नही चाहये इस बात की गवाही देने से के आप भी उन बहुत से

लोगों मैं शामिल हो जाएँगे जो अल्लाह की किताब मैं अपना

नाम दर्ज कराना चाहतें हैं|

लेकिन आप सोच रहे हैं के आप थोड़ी ज़िंदगी और

जीना चाहते हैं और यक़ीनन अभी आप तय्यार नही हैं की

रोज़ इबादत की जाए! इस लिए आप सोचते हैं के थोड़ी ज़िंदगी

को आएसए ही गुज़ारा जाए| लेकिन कब तक थोड़ी थोड़ी

ज़िंदगी गुज़ारेंगे? कितना अरसा हो गया की आपका सर बालों

से भरा हुआ था? कितना अरसा हो गया जब आपके बाल काले

थे? आपके घुटनो, कोहनियों और दूसरे हिस्सों मैं दर्द रहने

लगा! कितना अरसा हो गया जब के आप बच्चे थे, बगैर किसी

फ़िक्र के भागते थे, खेलते थे? कितना अरसा हो गया इनको?

ये कल ही तो था! हाँ और कल आपको मार जाना है तो कितना

अरसा आप इंतिज़ार करना चाहते हैं?

इस्लाम गवाही है के अज़ीम खुदा ही खुदा है सिर्फ़

एक खुदा बगैर किसी की शिरकत के| इस्लाम गवाही है की

फरिश्ते हैं जो की ज़िम्मेदारी के साथ पेगंबारो के पास वाणी

लेकर भेजे जातें हैं, वो लेकर आते हैं पैगाम रासूलों के लिए,

वो पहाड़ो, हवाओं, महासागरों को काबू मैं करते हैं और जान

निकलते हैं जिनके लिए खुदा हुक्म देता है| इस्लाम गवाही है

के तमाम अज़ीम खुदा के रसूल और पेगंबर सच्चे थे| और वो

सब अज़ीम खुदा की तरफ से इस हक़ीकत की गवाही कराने

के लिए भेजे गये थे की एक फ़ैसले का दिन तमाम मख्लूकात

के लिए आयगा| इस्लाम गवाही है की तमाम अच्छाइयों और

बुराइयों का अज़ीम खुदा हिसाब लेगा| आख़िर मैं इस्लाम

गवाही है के इस पर ईमान होना के हमें मरने के बाद ज़िंदा

होना है|

हर मुसलमान पर बुनियादी ज़िम्मेदारी जो लागू होती

हो बहुत सादा हैं| हक़ीकत मैं सिर्फ़ पाँच चीज़ें हैं| इस्लाम

एक बढ़े घर की तरह है और हर घर की बुनियाद और खंबे

होते हैं जो घर को कायम रखने मैं मदद देते हैं| खंबे और

बुनियाद और आपको घर उसूलों के साथ बनाना पढ़ेगा| खंबे

हैं वो उसूल| और आप जब घर बनाते हैं तो इन लाज़मी उसूलों

की पाबंदी करते हैं| सब से अहम उसूल इस्लाम का अकीदा

तोहीद को मज़बूती से थामे रखना के अल्लाह के साथ किसी

को शरीक ना करो| अल्लाह के साथ किसी की इबादत ना

करो| खुदा से ऐसा ना कहो जिसके कहने का आपको हक़

नही हैं, जब आप गवाही देते हैं तो सज़ावार भी आप खुद

हैं| जो चाहें वो सज़ा पाएँ| आप चाहे तो अपने लिए अमन

और जन्नत की सज़ा लें या फिर चाहें तो उलझन, दाबाओ,

जहन्नम की आग और जिस्मानी सज़ा पाएँ| आपकी सज़ा