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The Islamic Bulletin
The Purpose Of Life in Hindi
करो और खूलूस के साथ उसके होजाओ”| इसी तरह हम हर
माशहूर पेगमबर के पेगाम की तहकीक करें तो इस हक़ीकत
को पा लेंगे|
यहाँ फ़र्क है, ये नतीजा है मुस्नीफो, तरीक्दानो,
स्कॉलरॉन और इफ्राद की मुजरिमाना झूते इंदिराज का,
मिलावट का, ज़ाति तर्जुमानि का| मिसाल के तोर पर मैं जेसे
आपको वाज़े करता हूँ जो के आप पहले ही जानते हैं| एक
ईसाई के हैसियत से मैने इसे देखा मेरे मुसलमान होने से पहले
और मैं नही समझता था के केसे पूरे पुराने एहेडनामे मैं खुदा
को हमेशा एक के हवाले से ज़िक्र किया गया है| आका और
मालिक और कयनात का बादशाह और यही पहला हुक्म
मूसा को दिया गया था| वो इजाज़त नही देता के किसी तराशि
हुई ष्बी की इबादत की जाए या जन्नत मैं किसी चीज़ के
सामने झुका जाए या ज़मीन पर या समुंदर मैं| वो खुदा हरगिज़
इजाज़त नही देता| तमाम रासूलों ने कहा के खुदा सिर्फ़ एक
है| पूरे पुराने एहेद्नामे मैं इस बात को बार बार दोहराया गया
है| और फिर अचानक हम चार एहेद्नामे पाते हैं जो के चार
गॉस्पेल कहलाई जाती हैं मेथ्हियु, मार्क, ल्यूक और जॉन|
मेथ्ह्यु कौन है? मार्क कौन है? ल्यूक कौन है? जॉन कौन है|
चार अलग अलग गॉस्पेल जो के ४८ सालों मैं लिखी गयी थीं,
और उनमे से किसीने भी एक दूसरे की मदद नही की और
नाही उनमे से किसीने भी अपने नाम का आखरी हिस्सा लिखा
है| अगर मैं आपको इस महीने के वेतन का चेक दूँ और मैं
उस पर अपने नाम का पहला हिस्सा लिखूं और कहूँ इसे बेंक
लेजाओ क्या आप इस चेक को क़ुबूल करेंगे? नही, आप नही
करेंगे| अगर पोलीस वाला आपको रोके और आपसे आपकी
पहचान मालूम करे या पासपोर्ट माँगे और आप उसे सिर्फ़
अपने नाम का पहला हिस्सा बताएँ, क्या वो उसे मान लेगा?
क्या अपने नाम का पहले हिस्से वाला पासपोर्ट ले लेंगे?
क्या आपके मा बाप आपको सिर्फ़ एक ही नाम देते हैं? कहाँ
पूरी इंसानों की तारीख मैं एक नाम को काग़ज़ात मैं शामिल
किया गया है, कहाँ? कहीं नही सिवाय नये एहेद्नमे के!
और केसे आप इन चार इन गॉस्पेल पर इमान रख सकते हैं
जो चार शक्सो ने लिखी हैं जिनके नाम का आखरी हिस्सा
कहीं मालूम होता दिखाई नही देता? फिर इन चार गॉस्पेल
के बाद एक श्कस ने करीब १५ किताबें लिखीं जो के एक
मुर्तद था और उसने ईसआयिओं का कतल किया, उन पर
तश्तद किया और फिर उसने कहा के उसके तसववौर मैं
ईसा अलेअस्सलम आए थे और वो मुख़्तार था जेसे एक इशू
का रसूल(अपोस्टेल ऑफ जीसस)| अगर मैं आपको बताउ
के तमाम यहूदियू को मारने के बाद हिट्लर ने फ़ैसला किया
उसे जान बचाने के लिए जगह चाहये और तो वो ईसा से या
मूसा से मिला और यहूदी हो गया? नही, आप इसे क़ुबूल नही
करेंगे| तो केसे जिन्होने चार जिन्होने चार किताबें लिखी बगैर
अपने नाम के आखरी हिस्से के और १५ दूसरी किताबें लिखीं
गयीं एक दूसरे श्कस से| इन मैं पहली दफ़ा खुदा एक श्कस
“इंसान” कहलाया, और पहली दफ़ा तीन मैं कहलाया और
पहली ही दफ़ा खुदा ने बेटा दिया था| ये केसे ईसाइयू के लिए
काबिल ए क़ुबूल है? केसे? ज़रा इस बारे मैं सोचिए! मैं इस
नुकते पर बहेस नही करूँगा| मैं सिर्फ़ आपको सोचने के लिए
कुछ देना चाहता हूँ|
हज़रत मोहम्मद स ना तो कोई नया मज़हब
लेकर आए थे या नाही ज़िंदगी की नयी राह जिसे कुछ लोग
बादशुगनी का दावा करते हैं| इसके उलट हज़रत मोहम्मद
ने पिछले तमाम रसूल और पेगंबरों के पेगामत और उनकी
ज़िंदगी की ताज़दीक की| दोनो को अपने ज़ाति अमल के
ज़रिए और जो उन्हे अल्लाह की तरफ से वही की जाती थी|
मकद्दीस किताब जो हज़रत मोहम्मद स लेकर आए जिसे
क़ुरान कहा जाता है| इसका मतलब है “जिसकी तिलावट की
जाए|” क्यूंकी मोहम्मद स ने क़ुरान नही लिखा था| वो क़ुरान
के मुनसिफ़ नही थे| कोई क़ुरान को लिखने मैं उनकी मदद
को नही आया था और नाही उसके लिखने मैं किसीने उनके
साथ शिरकत की थी| फरिश्ता जिसका नाम जिब्राइल था
पढ़कर उनको सुनाता और अज़ीम खुदा ने उनके दिल को
क़ुबूल करने वाला कर दिया था| हज़रत मोहम्मद स वही को
याद करते थे और हमारे पास जो क़ुरान है सालों से किसी
भी तब्दीली से महफूस है| क्या आएसी कोई और किताब है
दुनिया मैं हिसे आप जानते हों के वो बिना किसी तब्दीली के
महफूस हो? नही कोई किताब नही, सिर्फ़ क़ुरान है|
आप मेरे अल्फ़ाज़ पर मत जाएँ! लाइब्ररी जाएँ
और पढ़ें एन्साइक्लोपीडिया ब्रितानीका या वर्ल्ड
एन्साइक्लोपीडिया, या अमेरिकनास एन्साइक्लोपीडिया
या कोई दूसरा दुनिया का एन्साइक्लोपीडिया जो की किसी
मुसलमान ना लिखा हो| पढ़ें के क्या कहतें हैं ये सब इस्लाम,
क़ुरान और मोहम्मद स के बारे मैं| गैर मुस्लिम पढ़ें गौर ओ
फ़िक्र के साथ क़ुरान, इस्लाम और मोहम्मद स के बारे मैं
क्या कहते हैं| फिर आप मान जाएँगे की जो मैं कह रहा हूँ
वो दुनिया की दस्तावेज़ों मैं सॉफ सॉफ है! और मोहम्मद
स इंसानियत की तारीख की सबसे बढ़ी शक्सियत हैं| पढ़ें
वो क्या कहतें हैं कुरान सबसे अविश्वसनीय, इतिहास के
इतिहास में साहित्य का सबसे गहरा टुकड़ा है! पढ़ें वे क्या
कहते हैं के इस्लामी अनूकूल ज़िंदगी अलग, बेहतरीन और
गतिशील ज़िंदगी है ये कभी नही बदलती|
पवित्र शास्त्र जो की मोहम्मद स को मिला ‘क़ुरान’
कहलाता है और हर एक रसूल और पेगंबर ने भी पवित्र
शास्त्र लिए| क़ुरान मैं इन रसूलओं का, उनके पवित्र
शास्त्रओं का उनकी कहानिया और उनके काम के उसूलों
के बारे मैं ज़िक्र किया गया बहुत फ़िक्र के साथ| क्या
मोहम्मद स उनसे मिले थे, उनसे बातें की थीं, उनके साथ
खाना खाया था या शरीक हुए थे की उनकी आत्मकथा लिखी
जाए? नही, बिल्कुल नही| क़ुरान मैं मोहम्मद स का हवाला
अज़ीम खुदा के पेगंबर से दिया गया है| पिछले पेगंबरों के
संदोषों की पुष्टि करते हैं| जो के एक इंसान होने की हेसियत
से उनके किरदार की हद है|
“मोहम्मद तुम्हारे मर्दो मैं से किसी के पिता नही हैं,
बल्कि अल्लाह के सन्देश्ता और नबियो की मोहर हैं
और अल्लाह तो हर चीज़ से खूब वाकिफ़ है”
[क़ुरान ३३,
सुरा ४०]
मुसलमान मोहम्मद स की इबादत नही करते,
हम ‘मोहम्मदी’ नही हैं| हमें ये हक़ हासिल नही है के हम
मोहम्मद स का नाम तब्दील करें और ‘मोहम्मदी’ कहलाएँ|
नही, लोग जो मूसा की पेरवी करती हैं क्या वो ‘मोसय्येन’
थे| जो लोग याक़ूब की पेरवी करते थे क्या वो ‘यकूविअन’
कहलाते थे| या इब्राहिम की पेरवी करने वाले ‘इब्रहिमियन’
थे या ‘दाऊदियान’| नही नही नही| तो फिर केसे लोग खुद को
‘ईसाई’ कहलाते हैं? ईसा अल्एसलाम ने खुद को कभी ईसाई
नही कहा तो केसे लोग खुद को ईसाई कहलवाते है?
ईसा अल्एसलाम ने फरमाया के मैने अपने अज़ीम
खुदा से जो भी लिया वो हर एक लफ्ज़ खुदा का था और
उसने वो सुना है जो खुदा ने कहा! के वही इसने किया! तो क्यूँ
लोग खुद को ईसाई कहल वाते हैं? हमें ईसा अल्एसलाम की
तरह होना पढ़ेगा और क्या था जो ईसा अल्एसलाम की तरह